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Sunday, September 7, 2008

लूट की दो तस्वीरें


हमारा संविधान,
जिस लूट की इजाज़त नहीं देता,
हम उसे भ्रष्टाचार कहते हैं।
और जो लूट क़ानूनी ठहराई जाए,
उसे मुनाफ़ा, सूद और लगन कहते हैं।

फैक्ट्री में जलते मज़दूर,
खेतों में मरते किसान,
राशन की कतार में खड़ी औरतें,
और स्कूल छोड़ते बच्चे—
ये सब लूट की ही क़ीमत हैं।

हम मज़दूर, गरीब, किसान,
दोनों ही लूट की क़ब्र खोदेंगे।
अपने पार्टी प्रोग्राम में
खुलेआम ये ऐलान करेंगे—
कि अब हल भी हमारा, हथौड़ा भी हमारा,
अब ज़मीन भी हमारी, कारखाना भी हमारा।

साम्राज्यवादी, पूँजीपति, ज़मींदार,
हमें चाहे राष्ट्रद्रोही कहें,
हमें चाहे आतंकवादी कहें,
हमें चाहे हत्यारा कहें—
लेकिन समस्त मेहनतकश जनगण,
हमें लाल सलाम कहते हैं!

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