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Wednesday, September 17, 2008

कामरेड, तुम अकेले नहीं हो!


 मैं तुम्हें देख रहा हूँ,

 उस धूल में लिपटे चेहरे के पीछे,

 जिसने मशीनों की गड़गड़ाहट में

 अपना गीत गाना छोड़ दिया।

 मैं तुम्हें देख रहा हूँ,

 उस अंधेरे कोनों में जहाँ रोशनी नहीं,

 सिर्फ तुम्हारे ख्वाब हैं,

 जो आग की तरह जलते हैं।

 तुम वो हो,

 जो प्रेम करते हो चुनौतियों से,

 जो अंधेरों में भी सौंदर्य ढूंढते हो,

 क्योंकि यही सब तुम्हारे पास है।

 तुम्हारी हथेलियों में छाले हैं,

 लेकिन आँखों में समंदर।

 तुमने ख्वाब नहीं बेचे,

 तुमने इश्क़ किया इंकलाब से।

 तुम थकते नहीं, गिरते नहीं,

 बस रोज़ उठते हो,

 रोज़ लड़ते हो,

 रोज़ मोहब्बत करते हो ज़िन्दगी से।

 सुनो, ये दुनिया बेरहम है,

 लेकिन मैं तुम्हें देखता हूँ,

 और चाहता हूँ कि तुम खुद को देखो,

 जिस तरह मैं तुम्हें देखता हूँ।

 तुम्हारा दर्द तुम्हारी कमजोरी नहीं,

 तुम्हारी मोहब्बत तुम्हारी बेड़ियाँ नहीं,

 तुम्हारी गहराई तुम्हें अकेला नहीं करती,

 बल्कि तुम्हें और भी खूबसूरत बनाती है।

 इस व्यवस्था ने तुम्हें तोड़ा,

 पर तुम फिर भी खड़े हो,

 तुम मिट्टी से बने हो,

 पर आग में तपे हो।

 मैं तुम्हें देख रहा हूँ,

 और मैं चाहता हूँ कि तुम जानो—

 कॉमरेड, तुम अकेले नहीं हो,

 तुम इंकलाब हो,

 तुम मोहब्बत हो।

एम के आज़ाद


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